गिरिडीह जिले के खोरीमहुआ अनुमंडल के धनवार में कर्माटांड़ और बबली गांव के बीच सड़क किनारे भारी मात्रा में सरकारी आयरन और अल्बेंडाजूम क्रीम की दवाएं फेंकी हुई मिलीं। हैरानी की बात है कि दवाओं का डेट एक्सपायर भी नहीं हुआ था।
जब स्थानीय ग्रामीणों की नजर फेंकी हुई दवाओं पर पड़ी तो तरह-तरह की बातें की चर्चा होने लगी। जब ग्रामीणों ने दवा देखा तो मालूम हुआ कि फेंकी गई दवाओं का डेट भी एक्सपायर भी नहीं है। इस दौरान ग्रामीणों ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से सवाल पूछा है कि, क्या फेंकी गई दवाएं अच्छी नहीं थी? अगर दवाएं अच्छी नहीं थीं तो इन्हें पहले ही क्यों नहीं जांचा गया? और जब दवाएं सही थीं तो इन्हें सड़क किनारे क्यों फेंका गया? क्या इस तरह से सड़क के किनारे खुले में दवाओं का फेंकना सही है?
ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी दवाओं का यह हाल है तो निजी दवाओं का क्या हाल होगा? उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि मामले की जांच पड़ताल की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और साथ ही दवाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाए।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी और सरकारी दवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।