उपायुक्त द्वारा गिरिडीह सदर अस्पताल में निर्मित नए कुपोषण उपचार केंद्र का किया गया उद्घाटन
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पोषण अभियान के तहत एक सितंबर से 30 सितंबर तक पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत अति गंभीर कुपोषित बच्चों की जल्द से जल्द पहचान कर उनके पास के कुपोषण उपचार केन्द्र में भर्ती कराया जाना सुनिश्चित करना है। इसी कड़ी में आज गिरिडीह सदर अस्पताल में बनाए गए कुपोषण उपचार केंद्र का विधिवत उद्घाटन उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी, श्री राहुल कुमार सिन्हा के द्वारा किया गया। इस दौरान उपायुक्त ने कहा कि कुपोषण उपचार केंद्र का निर्माण स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण विभाग एवं अभियुक्ति फाउंडेशन द्वारा करवाया गया है। कुपोषण उपचार सेंटर में बच्चों के खेलने हेतु इंडोर गेम्स, छोटा टेबल, टॉयज, कैरम बोर्ड, एबीसीडी बुक, मनोरंजक तस्वीरें, पेंटिंग्स, कार्टून्स, सही पोषण से संबंधित आवश्यक जानकरियां, रसोईघर, स्टोर रूम, शौचालय, एक बरामदा और खेलने के लिए लॉन क्षेत्र है।
साथ ही कुपोषण उपचार केंद्र में वजन मापने की मशीन, स्टेडियोमीटर, एमयूएसी, ग्रोथ चार्ट एवं अन्य चिकित्सा जांच उपकरण उपलब्ध है। इसके साथ ही शिशु का वजन, शिशु की लंबाई की माप, एनीमिया, शारीरिक वृद्धि आदि की जांच कराई जाती है। इस कुपोषण उपचार केंद्र को केंद्र सरकार के मानदंडों के अनुसार बनाया गया है। इस उपचार केंद्र में सुविधाओं को सुदृढ़ एवं सुगम बनाया गया है। साथ ही 24×7 बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की व्यवस्था की गई है। जिससे कि माताओं/बच्चों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। साथ ही उन्होंने कहा कि गिरिडीह जिले के सदर अस्पताल में कुपोषित बच्चों के बेहतर चिकित्सीय उपचार हेतु उन्हें कुपोषण उपचार केंद्र में रखा गया है। जहां उनका समुचित चिकित्सीय उपचार किया जा रहा है।
कुपोषण उपचार केंद्र में भर्ती करने से पहले बच्चों का शारीरिक वजन मापा जाता है। साथ ही उन्हें वहां पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है। कुपोषण के कारण बच्चों को अन्य बीमारियां भी जल्द हो जाती है। ऐसे में कुपोषण का उपचार बच्चे और उनकी माताओं के लिए राहत देने वाला उपचार है। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल में कुपोषण उपचार केंद्र में वर्तमान में 10 बेड्स की उपलब्धता सुनिश्चित कराई गई है। साथ ही महिलाओं एवं बच्चों को भी एडमिट किया गया है। सभी बच्चों का रख-रखाव और इलाज नर्स और चिकित्सक द्वारा किया जा रहा है। प्रतिदिन कुपोषित बच्चों का इलाज बच्चों के लिए बनाए गए मेन्यू-चार्ट के अनुसार किया जाता है। सरकार की बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने की योजना जिले में बेहतर तरीके से कार्यशील है।