गिरिडीह झारखण्ड

दूल्‍हे ने लौटाए दहेज के लाखों रुपये, कहा- दुल्‍हन से बढ़कर कुछ और नहीं

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जिस समाज में आए दिन दहेज के लिए नवविवाहिताओं की हत्या की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनती हो, वहां महज एक रुपये और एक नारियल के साथ सात जन्मों का बंधन निभाने के लिए कोई युवा सामने आता है, तो यह आश्चर्य से कम नहीं।धनबाद में भूली के निवासी आकाश कुमार ने ऐसा कर दिखाया है। आकाश को उसके पिता का भी भरपूर सहयोग मिला, जिन्होंने दहेज में मिले लाखों रुपये ना केवल लौटा दिए, बल्कि वधू को ही सबसे बड़ा दहेज बताया।

इस आदर्श विवाह की पूरे इलाके में चर्चा हो रही है। लोग आकाश और उसके पिता राजू बाल्मिकी की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं।राजू कहते हैं कि अब समय की मांग है कि इस प्रथा को समाप्त किया जाए। तभी समाज का भला होगा। इसी सोच के साथ मैंने अपने बेटे का आदर्श विवाह कराया है। आकाश ने कहा कि समाज सेवा करना ही उसके पिता व अन्य स्वजन का उद्देश्य है।

उन्होंने शगुन के रूप में एक रुपया और नारियल लेकर दुल्हन को अपनाया है। इसके लिए वह अपने पिता का ताउम्र शुक्रगुजार रहेंगे।राजू बाल्मीकि ने पुत्र आकाश कुमार का विवाह रांची के बाल्मीकि कालोनी किशोरगंज के रहने वाले लालाराम लोहरा की पुत्री मुस्कान कुमारी के साथ तय की व बारात लेकर रांची गए। शादी में राजू बाल्मीकि को लाखों का चेक दिया गया, जिसे उन्होंने इंकार कर दिया। बाल्मीकि समाज द्वारा दहेज मुक्त विवाह का अभियान भी चलाया जा रहा है।