गुरु के बिना ज्ञान पाना संभव नही है , ब्रह्मा विष्णु शंकर ही क्यों ना हो गुरु के बिना भव सागर से पार नही हो सकते । गुरु के सांन्निध्य व मार्गदर्शन में निखार आता है और विकार का नाश होता है। गुरु अतुल्नीय व सर्वकालिक पूज्यनीय है
उक्त बातें वाराणसी से पधारे प्रख्यात संगीतमय कथावाचक आचार्य कन्हैया द्विवेदी जी महाराज ने ताराटांड़ मोहलीडीह में आयोजित हनुमंत प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में कथावाचन के दौरान कही । उन्होंने कहा भक्ति पैसों से नही बल्कि श्रद्धा एवं विश्वास से होती है । गुरु शंकर भगवान के जैसे होते हैं जो टेढ़े चंद्रमा को शीश पर जगह देते हैं ।
उन्होंने कहा कि रामचरित मानस सभी वेदों पुराणों शास्त्रो का सार है , वेद पढ़ना और समझना सबके लिए आसान नही है । अतः तुलसी बाबा ने सामान्य भक्तों को ध्यान में रखकर मानस की रचना की जो सर्व सुलभ है। रामचरित मानस को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जाना चाहिए । यज्ञ से नकारात्मक शक्तियों का समूल नाश व सकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।अमृतयमयी संगीतमय कथावाचन श्रवण कर रहे श्रोतागणको भाव विभोर हो गए। श्रोतागण कथावाचक की कथावाचन शैली ,स्वर व आकर्षक ब्यक्तित्व से मोहित होकर मुक्तकंठ से प्रशंसा कर रहे थे। दिनभर वैदिक मंत्रोच्चारण,पूजन अर्चना ,गगनभेदी जयघोष व शाम से देर रात्रि तक मधुरतम संगीतमय कथावाचक से वातावरण भक्तिमय हो गया है।
यज्ञ को सफल आयोजन में अशोक पंडित ,राजेश पंडित , मुकेश कुमार , आनंद पंडित अशोक यादव सहित सभी ग्रामीण महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।