अपनी मांगों को लेकर गिरिडीह के एलआईसी कर्मचारियों ने किया एकदिवसीय हड़ताल
giridihupdatesComments Off on अपनी मांगों को लेकर गिरिडीह के एलआईसी कर्मचारियों ने किया एकदिवसीय हड़ताल
Share This News
भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारियों व अधिकारियों ने भारतीय जीवन बीमा निगम को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने के लिए गए निर्णय को तत्काल प्रभाव से रद्द करने, LIC की IPO का विरोध ,बीमा उद्योग में विदेशी निवेश 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को रद्द करने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण न करके उन्हें और अधिक सुदृढ़ करने तथा 1 अगस्त 2017 से लम्बित वेतन बढ़ोतरी समझौते को शीघ्रातिशीघ्र सम्पन्न करने आदि मुद्दों पर भारतीय जीवन बीमा निगम में गठित सन्युक्त मंच जिसमें अधिकारियों का संगठन, विकास अधिकारियों का संगठन तथा Class III एवं IV कर्मचारियों का संगठन के संयुक्त मोर्चे के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर पूरे देश में सभी कर्मचारीयों ने अपनी मांगों को रखते हुए गुरुवार को एक दिवसीय हड़्ताल पर है। जिसके कारण कार्यालय भी बंद पड़ा था।
हड़ताल को गति देने हेतु सभी कर्मचारी सुबह 9 बजे से ही अपनी मांगों तथा मजदूर विरोधी नितियों के खिलाफ नारेबाजी करते दिखने को मिला। बीमा कर्मचारी संघ के सचिव धर्म प्रकाश ने बताया कि इस देशव्यापी हड़्ताल के प्रमुख मांगों में निजीकरण का विरोध, LIC की शेयर बाज़ार में सूचीबध्धता व IPO का विरोध, एलआईसी की आईपीओ प्रक्रिया को तेज करने और विदेशी निवेश सीमा बढ़ाकर 49% से 74% करने का विरोध , सार्वजनिक संसथानों के निजीकरण का विरोध, LIC तथा GIC के शीघ्र वेतन समझौते की मांग, नई पेंशन स्कीम निरस्त कर पेंशन योजना 1995 लागू करना शामिल है ।उन्होंने बताया कि LIC का योगदान देश की अर्थ्व्यस्था में अतुलनीय है । देश के कुल निवेश का 25% LIC उपलब्ध कराती है। बताया गया कि सरकार ने चुपके से वित्त विधेयक में ही LIC अधिनियम के बदलावों को समाहित कर लिया है। बीमा अधिकारी कर्मचारियों ने इन विनाशकारी नीतियों के खिलाफ एक शक्तिशाली अभियान शुरू करने का फैसला किया है जिसमें लोगों के व्यापक हिस्से को जुटाना सुनिश्चित करना है। भारतीय जीवन बीमा निगम के राष्ट्रीयकरण के 65 वर्ष हो रहे हैं।
इन छः दशको की यात्रा को देखना राष्ट्रीयकरण के समय जो सपना देखा गया था, उसको पूरा करने मे यह संस्थान कहाँ तक सफल हुआ है। हड़ताल को संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियां आम जनता कर्मचारियों किसानों के विरुद्ध है। आज केंद्र सरकार के निजीकरण की नीति जिसके तहत सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को बेच रही है देश के लिए घातक है। हड़ताल को सफल बनाने में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के विद्ययनाथ, दिलीप कुमार, गौतम कुमार, प्रदीप कुमार साव, अशोक कुमार सिंह नयन, हरिगौरी साहू, रघुनंदन विश्वकर्मा, संजय शर्मा, विजय कुमार, मृत्युंजय प्रसाद सिंह, अनुराग मुर्मू, संहीता सरकार, कुमकुम वाला बर्मा, डेनियल मरांडी ,राजेश कुमार उपाध्याय, सहित कई अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित है।