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एक कलयुगी माँ ने नवजात बच्ची को जंगल में फेंका, माँ बनने का सपना देख रही दूसरी महिला ने बच्ची को जंगल से उठाकर लगाया सीने से, चंद घंटो के बाद बच्ची ने तोड़ दिया दम

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कहते हैं की माता कभी कुमाता नहीं होती.. लेकिन इस कलयुग के दौर में हर कुछ संभव है.. ऐसे ही एक ममता के कुमाता होने होने की शर्मनाक घटना गिरिडीह जिले के पिरटांड थाना क्षेत्र के मधुपुर गांव से सामने आई है। दिल को झकझोर देने वाली इस घटना को सुन कर एक ओर जहां लोग नवजात को जंगल में फेंकने वाली उस कुमाता को कोस रहे हैं, तो दूसरी ओर उस माँ की जमकर तारीफ हो रही है जिस माँ ने उस नवजात बच्ची को फिर से जिंदगी जीने का अवसर प्रदान करने की कोशिश की, भले ही उस माँ ने बच्ची को नई जिंदगी प्रदान करने में सफल नहीं हो सकी, लेकिन माँ बनने का सपना देख रही उक्त महिला की खूब प्रशंसा हो रही है।

ममता की यह पूरी कहानी गिरिडीह जिले के पिरटांड थाना क्षेत्र के मधुपुर गांव से जुड़ा हुआ है। जहां से दिल को झकझोर देने वाली एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। दरअसल पीरटांड थाना क्षेत्र के बांध जंगल में आज एक नवजात बच्ची को जंगल में फेंका हुआ पाया गया। पीरटांड थाना क्षेत्र के मधुपुर गांव की एक महिला कुंती देवी रोज की तरह जंगल में बकरी चराने गई थी बकरी चराने के दौरान उन्हें किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई थी, जब वह वहां जाकर के देखी तो एक नवजात बच्ची जंगल में फेंकी हुई पायी गयी।

जंगल में नवजात बच्ची को देखने के बाद कुंती देवी ने अपने रिश्तेदारी में तिलेश्वरी देवी को इसकी सूचना दी और कहा कि शादी के बाद से तुम्हारा कोई बच्चा नहीं हुआ है तो तुम इस बच्चे को गोद ले लो, यह सुनकर तिलेश्वरी देवी खुशी-खुशी बच्ची को गोद लेने के लिए तैयार हो गई और कुंती देवी के साथ बच्ची को लाने के लिए जंगल की ओर चल पड़ी।
शादी के बाद से माँ बनने का सपना देख रही तिलेश्वरी देवी खुशी से फुले नहीं समाँ रही थी। जैसे ही तिलेश्वरी जंगल पहुंच तो सबसे पहले नवजात बच्ची को गोद में उठा कर सीने से लगा लिया। इस दौरान उसने देखा कि नवजात के सिर पर चोट लगी हुई है तो उन्होंने नवजात को सीने से लगाकर आनन – फानन में स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए ले गई। चिकित्सकों ने नवजात बच्ची को देखा तो उसकी सांसे नहीं चल रही थी, काफी कोशिशों के बाद भी सांसे नहीं चली तो उस नवजात बच्ची को मृत घोषित कर दिया। बच्ची की मौत के बाद मानो तिलेश्वरी देवी के ऊपर गमो का पहाड़ टूट पड़ा ओर वह बच्ची को सीने से लगाकर रोने लगी, जिसके बाद अस्पताल का माहौल पूरी तरह से गमगीन हो गया। नवजात बच्ची की मौत होने के बाद इसकी सूचना पीरटांड थाना को दी गई। सूचना मिलते भी पीरटांड पुलिस पहुंची और कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद नवजात के शव को पोस्टमार्टम के लिए गिरिडीह सदर अस्पताल भेज दिया। इस दौरान तिलेश्वरी देवी भी मौजूद रही।

भारी मन से गोद में नवजात के शव को गोद में लिए हुए तिलेश्वरी देवी ने नवजात बच्ची को पोस्टमार्टम के लिए मौजूद कर्मीयों को सौंप दिया। कुछ क्षण के लिए ही सही मगर उन्होंने नवजात बच्ची को अपनी गोद में लेकर माँ बनने का सपना को पूरा कर लिया। जैसे ही नवजात बच्ची को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया तो उस महिला की आँखो में खामोशी सी छा गई।इस दौरान महिला तिलेश्वरी देवी के आंसू नहीं रुक रहे थे वे लगातार रोये जा रही थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि यदि कोई बच्चे पैदा कर सकता है और उसे पाल नहीं सकता है तो वह उस नवजात को उसे दे दे, नवजात को जंगल में मरने के लिए ना छोड़े वह उसे अपने हैसियत के मुताबिक पाल पोषकर बड़ी करेगी।

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